अभी हाल में पहली बार ऐसा हुआ जब जेब में मात्र चार रूपये थे और दो दिन गुजरा (शायद मेरे याद में पहली बार )। हद तो तब हो गयी, जब ऐसी स्थिति में मेरे यहाँ एक मेहमान भी आ धमके । हालांकि उस दिन १५ रूपये थे । उस दिन १५ रूपये में बड़ी होशियारी दिखाते हुए ११ रूपये का दूध जैसा जरुरी सामन लाया और डिनर का इन्तेजाम किया । अब मैं सिर्फ़ ४ रूपये के साथ था, वो भी दिल्ली जैसे शहर में । मेरे फ्रिज में पहले से हीं कुछ अंडे ,आलू, प्याज़ जैसे जरुरी सामन पड़े हुए थे । इसी के मद्देनज़र मैंने रात में डिनर के लिए अंडा भुजिया और दाल के साथ रोटी बनाया । खैर अब मैं मेहमान के साथ डिनर तो कर लिया लेकिन अब मुझे सुबह की चिंता थी। इसे ध्यान में रखते हुए मैंने रात में हीं छोले भिगो दिए। अगले दिन सुबह मैं अपने मेहमान के साथ चाय और बिस्किट का नास्ता लिया। जोकि अक्सरमेरे पास मौजूद रहता है। अब लंच के लिए छोले चावल बनाकर बड़े हीं गर्मजोशी के साथ उनके साथ लंच किया। इस तरह मैं आपने मेहमान को अब विदा कर चुका था और मन ही मन आपनी चालाकी पर इतरा रहा था।
अब आप सोच रहे होंगे की ऐसी मुश्किल घड़ी में मैंने किसी से मदद क्यूँ नहीं लिया। हुआ यूँ कि २०-२१ तारीख तक मेरे पास करीब १४०० रूपये थे। लेकिन आचानक मेरे गैस ख़त्म हो गए , पेपर वाले और केबल वाले को बिल दिया और कुछ पैसे मैंने एक मित्र को जरुरत पड़ने पर दे दिया। नतीजा ये हुआ कि मैं ख़ुद कंगाल हो गया। अब मैंने अपने एक क्लासमेट को फ़ोन किया कि वो मेरे लिए कुछ पैसे लेते आए। उसने कल लाने कि बात कही । मैंने उसका चयन इस लिए किया था,उसके पास पहले से ही मेरे कुछ पैसे बाकी थे। लेकिन वह न तो अगले दिन मुझे फ़ोन करना जरुरी समझा ना ही मेरा फ़ोन पिक करना। अब ये बात मुझे बुरा लग गया और पता नहीं क्यूँ किसी और को कहना मुझे आच्छा नहीं लग रहा था। चुकी महिना का आखरी दिन चल रहा था और अमूमन महीने के आखरी दिन मेरे घर से ख़ुद ही पैसे आ जातें है तो एक दो दिन के लिए घर पर भी कहना उचित नहीं समझा। खैर लेकिन अब भी मैं वही चार रूपये के साथ था, सो मुझे अचानक पुराने रद्दी अख़बार का ध्यान आया और मैंने उसे बेचने का फ़ैसला किया । सच में उस दिन रद्दी से मिले १०४ रूपये मेरे लिए बहुत बड़ा अमौंट था। खैर अब मेरे अकाउंट में अब पैसे आ गए हैं और नयी चुनौतियों के लिए तैयार हूँ । फ़िर भी उन्हें कहूँगा शुक्रिया दोस्त आपने मुझे सिमित संसाधन और पैसे में जीना सिखा दिया । वैसे यह भी मेरी लाइफ का आच्छा अनुभव था।
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
ReplyDeleteaadmi ko vakt bahut kuchh sikhata hai. narayan narayan
ReplyDeleteबहुत बढिया पोस्ट लिखी है।
ReplyDelete