
मैं भूल जाती हूँ!
जब आप मेरी दोस्त बनकर मुझसे ढेर सारी बातें करती हो
मैं भूल जाती हूँ की आपने अकेले कई पल बिताये होंगे
जब मुझे अपनी बातों से रात रात भर हसाती हो’
मैं भूल जाती हूँ कई सपनो को जागने से पहले सुलाए होंगे
जब कुछ समझ नही आता और में आकर गोद में छुप जाती हूँ
मैं भूल जाती हूँ की आपने दुनिया को समझने में कई साल लगाये होंगे
जब दूर जाती हूँ और आप मुस्कुरा कर हाथ हिलाती हो
मैं भूल जाती हूँ की इन हाथों से आपने अपने आँसू मिटाए होंगे
जब साथ में आपके गाना गाती हूँ और कुछ पलों को सजाती हूँ
मैं भूल जाती हूँ की आपने कई बरस बाद वो गीत गुनगुनाये होंगे
जब आपको दर्द पहुचाने वाले लोगो को आप समझने की कोशिश करती हो
मैं भूल जाती हूँ कि इन लोगो ने आपको समझने के लिए कुछ पल भी नही बिताये होंगे
जब मैं ख़ुद के लिए दूसरों से लड़ती हूँ और हार जाती हूँ
मैं भूल जाती हूँ की आपने ख़ुद से लड़ते हुए अपने कदम बढ़ाए होंगे
जब मैं ख़ुद को आगे बढ़ते हुए देख भगवान् को धन्यवाद देती हूँ
मैं भूल जाती हूँ की आपने क़दमों को पीछे करके अपने निशाँ मिटाए होंगे
मैं कुछ भी लौटा नही सकती
बीते पलों को सजा नही सकती
पर एक मम्मी चाहती हूँ जो आज सब कुछ भूलकर ज़िन्दगी को अपनाए
अपनी हँसी में छुपी भरी आवाज़ को हलके से गुनगुनाकर भूल जाए
मैं जानती हूँ आप नही भूलती क्यूंकि याद रखने के लिए पल नही मिलते
क्यूंकि बंज़र सी ज़मीन में पानी डालने पर वह फूल नही खिलते
पर साथ मिलकर हम नया बाग़ सजायेंगे और हम याद रखे ज़िन्दगी में कुछ ऐसे पल बिताएंगे.
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