
हवा के ताजे झोंके की
भीनी मदहोश खुशबु लिए
दिलों का मिलन
प्यार का वह सम्बन्ध
चाहत का एक मधुर सपना
अचानक ही सच हो गया...
भीनी मदहोश खुशबु लिए
दिलों का मिलन
प्यार का वह सम्बन्ध
चाहत का एक मधुर सपना
अचानक ही सच हो गया...
रिश्तों के नाम की
भारी चादर ओढ़ते ही,
दिलों का यह अन्तरंग सम्बन्ध
जाने कैसे बदल गया
पता भी नहीं चला
वह कब घुटन से मर गया...
भारी चादर ओढ़ते ही,
दिलों का यह अन्तरंग सम्बन्ध
जाने कैसे बदल गया
पता भी नहीं चला
वह कब घुटन से मर गया...
जिस स्पर्श ही सिरहन से
तनबदन सुलग जाता था
जिस साथ का एकएक क्षण
मन आँगन में बस जाता था,
पास होते हुए भी अब वह
जाने क्यूँ अपना नहीं रहा...
रिश्तों का नाम न देते तो
जीने का सहारा तो होता
वह कोशिश होती, इन्तेजार होता,
मिलने को दिल बेकरार तो होता
अब तो तुम्हारा प्यार सिर्फ़
एक यादगार बन गया...
बातों के उस खूबसूरत
सिलसिले का
जाने कहाँ अंत हो गया
समझ ही नहीं आया
सबकुछ सही होते हुए भी
रिश्तों ने हमारे प्यार को
प्यार क्यूँ न रहने दिया....
तनबदन सुलग जाता था
जिस साथ का एकएक क्षण
मन आँगन में बस जाता था,
पास होते हुए भी अब वह
जाने क्यूँ अपना नहीं रहा...
रिश्तों का नाम न देते तो
जीने का सहारा तो होता
वह कोशिश होती, इन्तेजार होता,
मिलने को दिल बेकरार तो होता
अब तो तुम्हारा प्यार सिर्फ़
एक यादगार बन गया...
बातों के उस खूबसूरत
सिलसिले का
जाने कहाँ अंत हो गया
समझ ही नहीं आया
सबकुछ सही होते हुए भी
रिश्तों ने हमारे प्यार को
प्यार क्यूँ न रहने दिया....
राकेश तुमने अपने भावनाओं को प्रकट बहुत ही प्यारे ढंग से की है इस कविता में तुम्हारी तड़प साफ दिखती है। एक बात की दाद दुगी की तुमने अपने प्यार को बेवफाई का नाम नहीं दिया। अच्छा है।
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